IP Address ipV4 और ipV6 क्या है ? पूरी जानकारी
Index :
1. TCP IP प्रोटोकॉलक्या है
1.1 TCP IP कैसे काम करता है
2. TCP क्या है
2.1 TCP हैडर (TCP Header)
2.2 TCP के फायदे (Advantage of TCP)
3. IP क्या है
3.1 IP एड्रेस की सुरुआत और इसकी खोज कैसे हुई
3.2 IP हैडर (IP Header )
3.3 IP के फायदे और नुकसान
4. IP एड्रेसक्या होता है
4.1 IP एड्रेस की जरूरत क्यों पड़ी
4.2 IP एड्रेस क्लास संरचना
4.3 IP एड्रेस के प्रकार
4.3.1 IPv4 क्या है
4.3.2 IPv6 क्या है
5. IPv6 (इन्टरनेट प्रोटोकॉल वर्जन 6) की जरुरत क्यों पड़ी
1. TCP/IP प्रोटोकॉल
क्या है ?
ये दो
प्रोटोकॉल से मिलकर बना है ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल और इन्टरनेट प्रोटोकॉल ये
इन्टरनेट का एक प्रोटोकॉल सूट और बेसिक communication लैंग्वेज (भाषा) है
जिसकी मदद से एक डिवाइस से दुसरे डिवाइस में कनेक्ट हो सकते है बिना wire के wirelessly और एक
नेटवर्क से दुसरे नेटवर्क में डाटा ट्रांसमिशन के लिए रूल्स नियम (प्रोटोकॉल्स) प्रोवाइड
करता है, इसकी
खोज DOD डिपार्टमेंट
ऑफ़ डिफेंस ने की थी
TCP IP कैसे काम करता है :
TCP
/IP इन्टरनेट में डाटा को Error
free और एक कंप्यूटर नेटवर्क से दुसरे कंप्यूटर
नेटवर्क में बिना डाटा loss के
भेजने में मदद करता है ये ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport
Layer) में वर्क करता है | TCP का
पूरा नाम ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (Transmission
Control Protocol ) है जो end
to end कनेक्शन इस्टेबलिश करता है और डाटा को बिना loss के
सेग्मेंन्ट्स (segments : group
of bytes)में एक end से
दुसरे end (Sender
to Receiver) तक पहोचाता है और ये भी देखता है की जो डाटा है
वो सही आर्डर में भेजे जा रहे है या नहीं | IP का
पूरा नाम इन्टरनेट प्रोटोकॉल (Internet
Protocol) है IP का
काम होता है ये देखना की जो डाटा भेजा गया हा वो अपनी जगह (right
Place) में
पहोचा के नहीं |
2. TCP (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल ) क्या है
यह डाटा ट्रांसमिशन का एक प्रोटोकॉल (Rule) है जो बिना डाटा लोस (loss) के डाटा को एक end से दुसरे end तक पहुचाने की गारंटी लेता है, उदाहरण के लिए आप डाटा AB@C2DE को भेजते है उस वक्त TCP या देखता है की डाटा एक सीक्वेंस में जा रहा है के नहीं कही डाटा A@BED2 में या ABC@DE में तो नहीं जा रहा |TCP के
फायदे :
·
बिना डाटा loss के
डाटा को पहोचाने की गारंटी लेता है
·
ट्रांसपोर्ट लेयर में काम
करता है
·
इन्टरनेट में ट्राफिक को भी
कंट्रोल करता है
·
जब बहोत सारे डाटा भेजना
होता है TCP का ही
काम होता है डाटा को विभाजित (Divide) करके
नेटवर्क के द्वारा छोटे छोटे segments में
भेजा जाता है
·
कनेक्शन ओरिएंटेड प्रोटोकॉल (Connection
oriented protocol) है
·
TCP पैकेट्स (डाटा) को
दुसरे डिवाइस में उसी (same) नेटवर्क
और अलग (different) नेटवर्क
में भेजने के काम आता है |
·
डाटा पैकेट्स एक सीक्वेंस
में (OrderWise) भेजा
जाता है
·
अगर पैकेट (डाटा) रास्ते
में हीlost हो
जाए या किसी कारण से न पहोच पाए जिस लोकेशन जगह पे उसे पहोचना होता है, तो tcp उस
डाटा (पैकेट) को
दोबारा भेजता है |
·
जो डाटा को भेजता है (Sender) और
जिसे डाटा चाहिए होता है (Reciever) इन
दोनों के बीच में TCP एक
कनेक्शन इस्टेबलिश करता है सेंडर और रिसीवर के बिच में Connection
तब
तक
रहता है जब तक डाटा दुसरे पॉइंट (Reciever) तक न
पहोच जाए successfully और या
ऐसा प्रॉब्लम (error) जाए जो ठीक न हो पाए तब जा
के कनेक्शन बंद (close) होता
है |
3. IP (इन्टरनेट प्रोटोकॉल ) क्या है
IPके
फायदे :
·
IP देखता
है की डाटा सही जगह पे भेजा गया है के नहीं सही जगह पे पहोचा के नहीं मतलब exact उसी
लोकेशन जगह पे पहोचा के नहीं |
·
ये नेटवर्क लेयर में काम
करता है |
·
Ip को
इससे कोई मतलब नहीं होता की डाटा पैकेट्स कैसे जा रहा है और किस सीक्वेंस (Order) में
भेजा जा रहा है | ये बस ये देखता है की डाटा
पैकेट्स उसी Ipएड्रेस (exactlocation) भेजा
गया के नहीं जिस IP एड्रेस
पे उसे पहोचना था |
IP की सुरुआत और इसकी खोज कैसे हुई :
· 1970 की
सुरुआत में ARPANET (एडवांस
रिसर्च प्रोटोकॉल एंड नेटवर्क ) को
मैनेज (MANAGE) करने
में प्रोब्लेम्स (DIFFICULT) हो
रहा था | इसलिए ARPANET को दो
नेटवर्क में बाट (तोड़) दिया
गया, एक का
इस्तेमाल मिलिट्री (MILITARY) के
कामो में इस्तेमाल किया जाता था जिसे मिलनेट (MILNET) कहा
जाता था | और
दुसरे नेटवर्क को दुसरे कामो में इस्तेमाल किया जाता था (NON-MILITARYUSE) जिसे ARPANET कहा
गया | मतलब
अरपानेट (ARPANET) को दो
नेटवर्क में डिवाइड किया गया जिसका एक नाम मिलनेट (MILNET) और
दूसरा नाम अरपानेट था | इन
दोनों नेटवर्क को लिंक करने के लिए एक प्रोटोकॉल बनाया गया एक प्रोटोकॉल की खोज
हुई जिसे ip
(इन्टरनेट प्रोटोकॉल) कहा
गया |
4. IP एड्रेस
क्या होता है :
· इसे
इन्टरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस कहा जाता है
· Ip
addressing tcp/ip प्रोटोकॉल
का सबसे बेसिक कॉम्पोनेन्ट है tcp/ip नेटवर्क
में हर एक डिवाइस के पास एक यूनिक ip एड्रेस
होना जरुरी है |
· Ip एड्रेस
नंबर होता है जो होस्ट (Host) को
पहचानने (Identify) में
मदद करता है
· Ip
address 32bit बाइनरी नंबर का होता है
· 32bitip एड्रेस
दो पार्ट्स में बना होता है
ü होस्ट
आईडी (Hostid) जिसे
हम होस्ट एड्रेस भी कहते है |
ü नेटवर्क
आईडी (Nework
Id) जिसे हम नेटवर्क एड्रेस भी कहते है |
IP एड्रेस
की जरुरत क्यों पड़ी |
Ip एड्रेस
को एक उदाहरण से समझते है आजकल कल हर चीज ऑनलाइन हो गया है लेकिन अगर आप कोई चीज
खरीदते, मंगवाते
है खरीदते है ऑनलाइन जैसे किताब,कपडे,इलेक्ट्रॉनिक
सामान इत्यादि तो आपको
एक एड्रेस देते है जहा वो आपका सामान पहोचा जाता है | लेकिन
सोचिये अपने कोई सामान आर्डर तो कर दिया लेकिन उसे आपका एड्रेस ही नहीं पता तो वो
कैसे पहोचायेगा |
ऐसे
ही इन्टरनेट में भी हर डिवाइस के पास एक एड्रेस होता है जब हमें डाटा को ऑनलाइन एक
नेटवर्क से दुसरे नेटवर्क में भेजते है तो ip एड्रेस
से पता चलता है की इसे भेजना कहा है |
IP एड्रेस क्लास संरजना :
इसका
इस्तेमाल IPv4 में
होता है जिसके बारे में हम निचे पढेंगे | इसमें
हम जानेंगे की कोन सी ip एड्रेस
कोनसे क्लास A B C D E में
होगा इसे एक छोटा से उदाहरण से समझते है आपने कभी शो रूम या बड़े मार्केट से सब्जी
या फल तो ख़रीदा ही होगा , इतना
जादा सब्जी या फल की भरमार होती है की उन्हें उसे क्वालिटी के हिसाब से बाट दिया
जाता है जैसे सबसे अच्छा फल ग्रेड A ,उससे
थोडा कम क्वालिटी वाला ग्रेड B और
ऐसे ही c,dइत्यादि | बिलकुल
ऐसे ही ip एड्रेस
को उनके रेंज (Range) के
हिसाब से बाटा गया है जिसे क्लास A (classA),B,C,D,E नाम
दिया गया है |
ip Version
4 Addressing :
Classes |
Ranges |
Class A |
1-126 |
Class B |
128-191 |
Class C |
192-223 |
Class D |
224-239 |
Class E |
240-254/255 |
Class A :
1. Network
id 8bit का
होता है
2. Host
id 24bit का
होता है
3. class
A में total 27 = 128
नेटवर्क id होता
है
4. और 224 - 2 = 16777214 host
id होता है
class
B :
1. Network
id 16bit का
होता है
2. host
id 16 bit का
होता है
3. class
B में total 16384 network
Address होता है
4. और 65534 host
एड्रेस
होता है
Class
C :
1. Network
id 24bit का होता है
2. Host
id 8bit का होता है
3. class C में total 2097152
network Address होता है
4. और 254 host
एड्रेस
होता है
Class
D :
1. Class
D के Ip
address multi कास्टिंग के लिए reserved
होते
है
Class
E :
1. Class E
के Ip
addressss एक्सपेरिमेंटल और रिसर्च के
लिए reserved
होते
है
2. 0.0.0.0
– 0.0.0.8 current नेटवर्क में कम्यूनिकेट करने के लिए use
होता
है
Ip एड्रेस
के प्रकार
IPv4 (Internet Protocol
Version 4)क्या होता है :
· IPv4 जिसे
हम इन्टरनेट वर्जन 4 कहते
है
· IPv4 एड्रेस 32bit का
होता है
· हैडर
की लेंग्थ (Header
Length) 20bitका
होता है
· IPv4 एड्रेस
नुमेरिक (नंबर) के
फॉर्म में होते है
· जिसे
चार भागो में हर 8bit के
बाद (.) डॉट (दशमलव) लगाकर
बाटा जाता है
· जो
टोटल 32bit (4byte) का
होता है
IPv6 (Internet
Protocol Version 6) क्या होता है :
· जिसे
हम इन्टरनेट वर्जन 6 कहते
है
· ये ip एड्रेस
को दरसाने (Represent
) के लिए 128bit का
स्पेस लेता है
· हैडर
की लेंग्थ (Header
Length) 40bit की होती है
· IPv6एड्रेस
अल्फा नुमेरिक (नंबर और अल्फाबेट) जिसे
हम कंप्यूटर भाषा में हेक्साडेसीमल के फॉर्म में होता है
· जो
कोलन (colon)
(:) की सहायता से अलग अलग बटा होता है |
5. IPv6 (इन्टरनेट
प्रोटोकॉल वर्जन 6) की
जरुरत क्यों पड़ी :
·
बात करे आजके internet की
दुनिया की तो आये दिन internet का
इस्तेमाल करने वाले बढ़ रहे है और उन सब को एक ip एड्रेस
प्रोवाइड करना
भी मुस्किल पढ़ रहा था इसे हम एक उदाहरण (Example) से
समझते है एक
टाइम था जब ip एड्रेस का इस्तेमाल करने
वाले बहोत काम थे जैसे जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ी मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक device
और
मोबाइल phone
की
मांग बढ़ी आज की बात करे तो हर घर में आपको एक न एक मोबाइल phone
मिल
ही जायेंगे अब हर किसी को ip एड्रेस provide
करना possible
नहीं
क्योकि ipV4 टोटल 32bit (4byte) का
होता है और users
की population
बहोत
जादा इसी इसी प्रॉब्लम को solve करने के लिए ipV6 की
जरुरत पड़ी ताकि अभी और इन future सभी को ip
address provide कर सके |